Thursday, October 16, 2025

Madras high court on wife maintenance from paralyzed husband | मद्रास HC बोला-पत्नी लकवाग्रस्त पति से मेंटेनेंस नहीं मांग सकती: बीमार पति को सजा मत दीजिए; पत्नी ने हर महीने ₹30 हजार मांगे थे

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चेन्नई49 मिनट पहले

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मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर पति बुजुर्ग, बीमार और खुद दूसरों पर निर्भर हो तो उसकी पत्नी उससे गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती। मदुरै बेंच की जस्टिस एल विक्टोरिया गौरी ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

निचली अदालत ने भी पत्नी की लकवाग्रस्त पति से 30 हजार रुपए मेंटेनेंस दिलवाने की याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस गौरी ने कहा कि कानून के अनुसार पत्नी भत्ता तभी मांग सकती है जब वह खुद अपना खर्च नहीं चला पा रही हो और पति के पास पैसे देने की क्षमता हो।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2008 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मेंटेनेंस देने का उद्देश्य पति को सजा देना नहीं, बल्कि पत्नी को गरीबी से बचाना है, लेकिन इस मामले में पति लकवाग्रस्त, बुज़ुर्ग और आश्रित है। ऐसी स्थिति में उनसे पत्नी का भरण-पोषण कराना सही नहीं है।

दरअसल, मेनका और उनकी दो बेटियों ने अपने अलग रह रहे पति मुरुगन से 30 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता मांगने की याचिका दायर की थी।

पत्नी ने कहा- मुरुगन के पास 15 लाख

मेनका और उनकी बेटियों ने कहा कि मुरुगन कामुथाकुड़ी की NTC मिल्स में काम करते थे। उन्हें रिटायरमेंट पर 15 लाख रुपए मिले थे और उनके पास जमीन-जायदाद भी है।

उनका आरोप था कि मुरुगन ने न तो उनके खर्च में मदद की और न ही छोटी बेटी की शादी के लिए धनराशि दी, जिससे वे आर्थिक परेशानी में आ गईं।

पति बोला- अभी तक रिटायर फंड नहीं मिला

मुरुगन ने कोर्ट में बताया कि वह 65 साल के हैं और पैरालिसिस अटैक के बाद बिस्तर पर पड़े हैं। उन्हें हर महीने करीब 5000 रुपए इलाज पर खर्च करने पड़ते हैं और वे अब कोई काम नहीं कर सकते। उन्हें सिर्फ पांच से 10 हजार रुपए पेंशन मिलती है।

उन्होंने यह भी बताया कि पत्नी और बेटियों ने उन पर कई केस दर्ज कर रखे हैं, जिसमें एक केस ऐसा भी है जिसमें उन्हें अपने रिटायरमेंट फंड निकालने से रोका गया है। इससे वे पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं।

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