Saturday, August 23, 2025

Rahul said- the country is being pushed back into the medieval times | राहुल बोले- देश को मध्यकाल में धकेला जा रहा: तब राजा का मूड ही कानून था, वे नापसंद लोगों को गिरफ्तार करवा देते थे

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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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राहुल ने संविधान सदन (पुरानी संसद) के सेंट्रल हॉल में विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के सम्मान समारोह में सरकार की आलोचना की। - Dainik Bhaskar

राहुल ने संविधान सदन (पुरानी संसद) के सेंट्रल हॉल में विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के सम्मान समारोह में सरकार की आलोचना की।

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को गंभीर केस में गिरफ्तारी पर पद से हटाने से जुड़े तीन बिलों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश को मध्ययुगीन काल में वापस धकेला जा रहा है, जब राजा किसी को भी गिरफ्तार करवा देते थे, जो उन्हें पसंद नहीं होता था।

राहुल संविधान सदन (पुरानी संसद) के सेंट्रल हॉल में विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘निर्वाचित प्रतिनिधि की अब कोई अवधारणा ही नहीं बची। उन्हें आपका चेहरा पसंद नहीं तो ED से केस करा दिया, 30 दिन में लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति खत्म।’

राहुल ने कहा, ‘भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति (जगदीप धनखड़) आखिर छुपे हुए क्यों हैं? क्यों ऐसी नौबत आ गई कि वो बाहर आ कर एक शब्द भी नहीं बोल सकते? जो राज्यसभा में जोरदार बोलते थे, चुप हो गए। वे इस्तीफा देने के बाद गायब हो गए। इसके पीछे बड़ी कहानी है। वे छुपे क्यों हैं? सोचिए हम ऐसे दौर में हैं, जहां पूर्व उपराष्ट्रपति एक शब्द नहीं बोल सकते।’

गृहमंत्री ने PM-CM और मंत्री को हटाने वाले बिल पेश किया

शाह के बिल पेश करने के बाद विपक्षी सांसद वेल में आकर हंगामा करने लगे थे।

शाह के बिल पेश करने के बाद विपक्षी सांसद वेल में आकर हंगामा करने लगे थे।

20 अगस्त को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और लगातार 30 दिन हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले बिल पेश हुए। गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के बीच तीनों बिल लोकसभा में पेश किए।

ये तीनों बिल अलग-अलग इसलिए लाए गए हैं, क्योंकि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केंद्र शासित राज्यों के लीडर्स के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं।

  • पहला बिल: 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 है, जो केंद्र और राज्य सरकारों पर लागू होगा।
  • दूसरा बिल: गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025 है, जो केंद्र शासित राज्यों के लिए है।
  • तीसरा बिल: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 है, जिसे जम्मू-कश्मीर पर लागू किया जाएगा।

शाह ने बिलों को विस्तृत अध्ययन के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव दिया, जिसे मंजूरी मिल गई। बिल पेश होने के दौरान विपक्षी सांसद नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए।

कुछ सदस्यों ने बिल की कॉपियां फाड़ दीं। कांग्रेस, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और सपा ने बिलों को न्याय विरोधी, संविधान विरोधी बताया। हंगामे के बीच मार्शलों की सुरक्षा घेरा बनाना पड़ा।

इन 3 बिल में ये प्रावधान रखे गए…

  • कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री के रूप में शासन नहीं चला सकता है।
  • इस बिल में आरोपित राजनेता को गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर कोर्ट से जमानत लेने का प्रावधान भी दिया गया है। अगर वे 30 दिन में जमानत नहीं ले पाते हैं, तो 31वें दिन या तो केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्री उन्हें पदों से हटाएंगे।
  • वे स्वयं ही कानूनी रूप से कार्य करने के लिए अयोग्य हो जाएंगे। कानूनी प्रक्रिया के बाद ऐसे नेता को यदि जमानत मिलेगी, तब वे फिर से अपने पद पर आ सकते हैं।

अब तीनों बिल के बारे में डिटेल में जानिए

1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025

केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।

इसलिए ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है।

2. 130वां संविधान संशोधन बिल 2025

केंद्र ने इस बिल को लेकर बताया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो।

इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।

केजरीवाल ने गिरफ्तारी के 6 महीने बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था

शराब नीति केस केस में तत्कालीन CM केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था।- फाइल फोटो

शराब नीति केस केस में तत्कालीन CM केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था।- फाइल फोटो

केंद्र सरकार का मानना है कि ये तीनों बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेंगे। अब तक संविधान के तहत केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं को हटाने को लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं है।

इसको लेकर कानूनी और सियासी विवाद होते रहे हैं। दिल्ली के तत्कालीन CM अरविंद केजरीवाल शराब नीति केस केस में ED की गिरफ्तारी के बाद भी पद पर थे। जमानत के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था।

इधर, तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी भी 241 दिन जेल में रहते हुए मंत्री रहे थे, बालाजी को मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MTC) में नौकरी के बदले नकद घोटाले के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। इसके बाद भी वह 13 फरवरी 2024 तक पद पर बने रहे थे।

गिरफ्तारी से पहले वे बिजली, आबकारी और मद्य निषेध विभाग संभाल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने उन्हें “बिना विभाग वाला मंत्री” बनाए रखा और उनके विभाग अन्य सहयोगियों को सौंप दिए।

शाह आज जो तीन बिल पेश करेंगे, उनमें आपराधिक आरोपों के प्रकार को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन अपराध के लिए कम से कम पांच साल की जेल की सजा होनी चाहिए। इसमें हत्या और यहां तक कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराध भी शामिल होंगे।

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