सावन की पहली बारिश का महत्व

आपने अपनी नानी-दादी से सुना होगा कि सावन के महीने में पहला पानी (Rain) बरसता है तो उसमें नहाना नहीं चाहिए क्योंकि वह पानी दूषित होता है, पूरा प्रदूषण जो आकाश में अंतरिक्ष में होता है उसे पानी नीचे लाता है तो वह पानी जहरीला होता है इसलिए पहले पानी में नहीं नहाना चाहिए और फिर उसी पानी से घास होती है तो जेहरीले पानी से घास हुई और गायो ने उसी घास को खाई तो गाय का दूध भी पहला जहरीला हुआ। “पहली बारिश का पहली घास का पहला दूध जहरीला”
पुरानी परंपरा: शिवलिंग पर दूध चढ़ाना
जहरीला दूध अब पहले जमाने के लोगों ने कहा, कोरस-गोरस है इसलिए दूध को फेंकना नहीं है चलो शंकर जी पर चढ़ा देते हैं पुण्य भी मिल जाएगा, दूध भी सही ठिकाने लग जाएगा। पहले के समय शिवजी के मंदिर अधिकांश झरने, नदिया या तालाब के किनारे होते थे तो सारा दूध बहके नदिया, झरने या तलाब में जाता था और उस तालाब में होती थी मछलियां तो दूध का स्वाद मछलियां लेती थी इसलिए उस जमाने से शंकर जी पर दूध चढ़ाया जाता है ये पुरानी परंपरा थी की शंकर जी पर दूध चढ़ाते थे तो मछलियों को भी दूध का भोग लग जाता था और वह दूध जहरीला होने के कारण पहले शंकर जी पर चढ़ाया जाता था।
बदलते समय के साथ परंपरा
समय बदला 2023 आया, वे झरने, नदिया और तलाब हो गए नाला, पहले तालाब शुद्ध हुआ करते थे पर अब तालाब गंदे हो गए, पहले नदिया शुद्ध थी अब नदिया भी गंदी हो गई तो अब क्या लगता है शंकर जी पर चढ़ा दूध नालियों में जा रहा है।
पहले नालिया होते ही नहीं थे पहले के लोग अपना घर बनाते थे तो उस घर में अपना लेट-बाथ (Toilet-Bath) के लिए गड्ढा भी खोदते थे तो उसमें सब जाया करता था।
अभी की स्थिति और नए विचार
अब पिक्चर (Film-Makers) बनाने वालों ने कहा कि वो दूध गरीबों को पिलाओ, चलो ठीक है गरीबों को पिलाओ, पर गरीब लोग भी मंदिर के बाहर ही बैठते हैं किसी फिल्मी-थिएटर के बाहर नहीं बैठते उन्हें पता हैं की फिल्म देखने वाले देँगे न देंगे पर मंदिर जाने वाले जरूर देगा।