Sunday, September 28, 2025

The people of Leh said – outsiders are erasing our culture | लेह के लोग बोले- हमारी संस्कृति मिटा रहे बाहरी: यहां जमीनें खरीद रहे; चार दिन से पर्यटक नहीं आए, हर तरफ डर का माहौल

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लेह21 मिनट पहलेलेखक: अजय प्रकाश

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बौद्ध भिक्षुओं का शांत शहर लेह इस बार अजीब सा सन्नाटा महसूस कर रहा है। बाजार बंद। सड़क किनारे खाली खड़ीं टैक्सियां। सूनी गलियां और हर 20 मीटर पर खड़े 5 से 7 सुरक्षा जवान।

एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही मैं ऐसी ही एक टैक्सी में बैठ गया। सवारी मिलने से ड्राइवर रिंगजिंग दिल से खुश तो थे, पर उनके चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी। उन्होंने पहली लाइन जो मुझसे कही, वो थी- हमारे लेह को किसकी नजर लग गई। ये कहते ही उनका गला भर आया।

मैंने बीते बुधवार को हुई हिंसा के बारे में पूछा तो रिंगजिंग बोले- हम सभी दुखी हैं और गुस्से में भी हैं। पहले भी न जाने कितने आंदोलन हुए, लेकिन यहां कभी गोली नहीं चली। हिंसा क्यों हुई, सब जानते हैं, लेकिन हम जैसे 4 परिवारों ने अपने बच्चों को खो दिया।

लेह हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी ऑफिस फूंक दिया था। CRPF की गाड़ी में आग लगा दी थी।

लेह हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी ऑफिस फूंक दिया था। CRPF की गाड़ी में आग लगा दी थी।

24 सितंबर को क्या हुआ कि पूरा लेह जल उठा रिंगजिंग मुझे गाइड सेरिंग फुनसॉक के पास ले गए। जब मैंने उनसे पूछा कि 24 सितंबर को सुबह 10 बजे के बाद ऐसा क्या हुआ कि पूरा लेह जल उठा? इसके जवाब में सेरिंग कहते हैं कि हमारी संस्कृति पर हमला हो रहा। हमारी जमीनें बाहरी लोग खरीद रहे। सेरिंग ग्रेजुएट हैं और गाइड का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि चार दिन से पर्यटक नहीं आए हैं।

हम लेह मेन मार्केट की तरफ बढ़े, तो सुरक्षा बलों ने गाड़ी रोकी। हमारा चेहरा देखा। ड्राइवर से पूछताछ की, फिर जाने दिया। हर 100 मी. पर ऐसी ही पूछताछ हो रही है, क्योंकि शहर में कर्फ्यू है शनिवार को सिर्फ चार घंटे के लिए ढील दी गई, ताकि लोग जरूरत का सामान खरीद लें।

सोनम का गांधीवादी तरीका फेल, युवाओं ने रास्ता निकाला रिंगजिंग ने बताया कि इन चार दिन न दूध आया, न अखबार और न ही कोई सवारी मिली। हम घरों में कैद थे। कर्फ्यू की ढील में मैंने सोनम के आंदोलन से जुड़े कुछ कार्यकर्ताओं से बात की। मैंने पूछा कि आखिर जवानों को यहां आना ही क्यों पड़ा? जवाब में उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब सोनम का गांधीवादी तरीका सफल नहीं हुआ तो युवाओं ने ही रास्ता निकला।

हालांकि अब उन्हें समझ आ रहा होगा कि आंदोलन और अराजकता में क्या फर्क होता है। इनकी बात से समझ आ गया कि आंदोलनकारियों को भी अराजकता का दर्द महसूस हो रहा है।

लद्दाखी लोग सेना का साथ देते हैं, क्या हम आतंकी हैं सेरिंग से जब पूछा कि डीजीपी जामवाल आपके सोनम का पाकिस्तान से कनेक्शन बता रहे हैं। इस पर सेरिंग कहते हैं कि चार दिन से पर्यटक नहीं आए हैं। हर तरफ डर का माहौल है। ऊपर से डीजीपी अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। हम लद्दाख वाले सेना के साथ साझेदारी करते हैं।

उनका हर कदम साथ देते हैं। उनके जैसे ही देशभक्ति करते हैं। फिर तो डीजीपी की बातों का मतलब हुआ कि हम सभी आतंकी हैं? उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। इस बार पहले बारिश ने हमारा सब बर्बाद किया और अब हिंसा में सब मिट रहा है।

लेह में पांच दिन से कर्फ्यू जारी है हालांकि शनिवार को चार घंटे की ढील दी गई थी।

लेह में पांच दिन से कर्फ्यू जारी है हालांकि शनिवार को चार घंटे की ढील दी गई थी।

फल सड़ गए, सब्जियां भी खराब, हजारों का नुकसान कर्फ्यू में ढील मिलते ही मुख्य बाजार में मुस्ताक अहमद ने फल और सब्जी की दुकान खोली तो भौचक रह गए। फल सड़ चुके थे और सब्जियां सूख गई थीं। सिर पर हाथ रखे बैठ गए। पूछने पर बताया कि 85 हजार का नुकसान हो गया। यही हाल लेह मुख्य बाजार के सभी 150 दुकानदारों का है।

हिंसा के बाद स्थानीय लोगों में मायूसी और गुस्सा लद्दाख के पुलिस महानिदेशक एसडी जामवाल ने शनिवार को बड़ा दावा किया। उन्होंने बताया कि सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक का पाकिस्तान से कनेक्शन है। पिछले दिनों लेह पुलिस ने एक पाकिस्तानी मूल के इंटेलिजेंस अफसर को गिरफ्तार किया है, जो वांगचुक की रिपोर्टिंग कर रहा था और रिपोर्ट पाक भेज रहा था। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। वो इस वक्त जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं।

जामवाल के मुताबिक इस साल वांगचुक ने पाकिस्तान और बांग्लादेश की यात्राएं की थीं। इसकी जांच शुरू कर दी है। 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा के पीछे कुछ कथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं के भड़काऊ भाषण जिम्मेदार हैं। इनमें वांगचुक प्रमुख हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से चल रही बातचीत को पटरी से उतारने की कोशिश की।

हिंसा के दौरान 5 से 6 हजार लोगों की भीड़ ने सरकारी इमारतों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों पर हमला किया। भीड़ को रोकने के लिए और आत्मरक्षा में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई।

जेल में थ्री लेयर सुरक्षा में हैं वांगचुक, यहां 1400 कैदी वांगचुक को जोधपुर जेल में थ्री लेयर सिक्योरिटी के बीच अलग सेल में रखा गया है। इस जेल में 1998 में सलमान खान, इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी और अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन भी कैद हो चुके हैं। शनिवार सुबह 50 वर्षीय विजयपाल ने जेल के बाहर प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

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