रूस की Federal Medical and Biological Agency (FMBA) की प्रमुख वेरोनिका स्क्वॉर्टसोवा ने बताया कि यह रिसर्च कई सालों तक चली, जिसमें पिछले तीन साल प्री-क्लिनिकल स्टडीज के लिए समर्पित रहे। उनके अनुसार, वैक्सीन बार-बार देने पर भी सुरक्षित साबित हुई और ट्यूमर के आकार में कमी दर्ज की गई। सबसे पहले इस वैक्सीन को कोलोरेक्टल कैंसर पर टेस्ट किया जा रहा है, जो दुनियाभर में कैंसर से मौत का एक बड़ा कारण है। इसके अलावा, वैज्ञानिक ग्लियोब्लास्टोमा (ब्रेन ट्यूमर) और मेलानोमा जैसी बीमारियों पर भी इसका परीक्षण कर रहे हैं।