ध्यान केवल तकनीक नहीं, एक समर्पण है। जब आप ध्यान करने बैठें, तो सभी बाहरी विचारों को एक ओर रख दें और सिर्फ उस क्षण में उपस्थित रहें।सद्गुरु कहते हैं, “ध्यान के परिणाम एक दिन में नहीं दिखते, लेकिन जो धैर्य रखता है, उसे गहराई में उतरने का अनुभव मिलता है।”