✨ क्या तमाशा हुआ इस्लाम की तक़दीर के साथ…
“क्या तमाशा हुआ इस्लाम की तक़दीर के साथ,
क़त्ल-ए-शब्बीर हुआ नारे-ए-तकबीर के साथ।
सलाम या हुसैन (अ.स.)” — अल्लामा इक़बाल
कर्बला की वह दर्दनाक दास्तान सिर्फ़ इतिहास नहीं, बल्कि इंसाफ़, सच्चाई और क़ुरबानी की सबसे बड़ी मिसाल है।
इमाम हुसैन (अ.स.) ने हक़ और सच्चाई की राह पर चलते हुए अपने पूरे परिवार की क़ुर्बानी दी। लेकिन अफ़सोस! उनका क़त्ल उसी समय हुआ जब अल्लाह के नाम का नारा लगाया जा रहा था।
यह हमें यह सिखाता है कि असली “तकबीर” या धर्म का नारा केवल तब मायने रखता है जब वह इंसाफ़, इंसानियत और सच्चाई के साथ हो।
आज भी कर्बला हमें याद दिलाती है कि सच्चाई के रास्ते पर डटे रहना आसान नहीं होता, लेकिन वही रास्ता इंसानियत और इंसाफ़ की असली पहचान है।
सलाम या हुसैन (अ.स.) 🙏