श्रीनगर1 घंटे पहले
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जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को 215 स्कूलों का प्रबंधन अपने नियंत्रण में ले लिया है। ये स्कूल पहले प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी और उससे जुड़े फलाह-ए-आम ट्रस्ट (FAT) संचालित कर रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, घाटी में सुरक्षा एजेंसियों ने कई प्राइवेट स्कूलों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि कुछ संस्थानों में खासतौर पर लड़कियों के बीच धार्मिक कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही थी। इसके साथ ही युवाओं में नशीले पदार्थों के प्रयोग की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ती दिखाई दे रही है।
अधिकारियों ने बताया कि कुछ प्राइवेट स्कूलों में कट्टर विचार फैलाए जाने की खबर मिली थी। इसके बाद उनको चेतावनी दी गई है। यह कार्रवाई युवाओं को चरमपंथी विचारों से बचाने के लिए की जा रही है।
खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घाटी में युवाओं और लड़कियों के बीच अखिल-इस्लामी विचारधारा अचानक बढ़ रही है। कट्टरपंथी मौलवी उन्हें इस्लाम की सख्त व्याख्या सिखा रहे हैं। इसमें सूफी संतों और ऋषियों के दरगाह पर जाना और वहां चढ़ावा चढ़ाना गैर-इस्लामी बताया जा रहा है।

कश्मीर के कई स्कूलों में 22 अगस्त को पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के जवानों ने पड़ताल की।
धार्मिक उग्रवाद से कश्मीर की सूफी परंपराएं खत्म होने का खतरा
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं बल्कि कुछ पूर्व अलगाववादी भी इस बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ से परेशान हैं। उन्हें डर है कि पाकिस्तान की ओर से थोपे जा रहे धार्मिक उग्रवाद से कश्मीर की सदियों पुरानी सूफी परंपरा कमजोर हो सकती है।
सोशल मीडिया पर आतंकवादी भी कट्टरपंथी विचारों को फैला रहे हैं। कश्मीर की शिक्षा व्यवस्था कमजोर होने से युवा इन विचारों की ओर जा रहे हैं। पिछले 30 सालों में आतंकवाद और अस्थिरता ने युवाओं के दिमाग पर बुरा असर डाला है। इसकी वजह से पत्थरबाजी जैसी घटनाएं देखने को मिलती है।
मदरसों में आतंकी संगठन प्रोपेगैंडा फैला रहे

मदरसों के टीचर्स और कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है।
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में बिना नियम-कायदे के कई नए मदरसे बन रहे हैं। इनका फायदा आतंकी संगठन उठाकर धर्म के नाम पर प्रोपेगैंडा फैला रहे हैं। कुछ लोग फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल करके लोगों में गुस्सा भड़का रहे हैं।
3 महीने में नशा बेचने वाले 97 लोग गिरफ्तार न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, कुछ स्कूलों में नशे की गंभीर समस्या है। पुलिस ने नशे और ड्रग तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की है। पिछले तीन महीनों में 97 लोग गिरफ्तार हुए और 73 मामले दर्ज किए गए। पुलिस की सख्ती के बाद हीरोइन मिलना मुश्किल हो गया है, जिसके चलते कई युवा अब मेडिकल दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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