पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई हुई। इसमें आरोप लगाया गया कि पश्चिम बंगाल से आए कई प्रवासियों को गुरुग्राम में गैरकानूनी तरीके से अमानवीय हालात में रखा गया है।
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चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी ने कहा, अगर उन्हें अमानवीय हालात में रखा गया है, तो हमें बताइए। हम आदेश देंगे, डिटेंशन होम में मानवीय हालात होने चाहिए। मामले में अगली सुनवाई 30 सिंतबर को होगी। हाईकोर्ट में ये याचिका निर्मल गोराना द्वारा डाली गई है और इसमें राज्य हरियाणा एवं अन्य को पार्टी बनाया गया है।

गुरुग्राम के सेक्टर 10 में बनाएं गए होल्डिंग सेंटर में बांग्लादेशियों को रखा गया है। बाहर तैनात पुलिस टीम।
शक जताकर पकड़ा
कोर्ट ने पूछा- “क्या उन्हें किसी अपराध में हिरासत में रखा गया है?” इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उन्हें किसी अपराध में नहीं, बल्कि यह शक जताकर पकड़ा गया है कि वे अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं, जबकि वे असल में भारतीय नागरिक हैं। वकील ने बताया कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी इनकी भारतीय नागरिकता की पुष्टि की है। इसके बावजूद सैकड़ों प्रवासियों, जिनमें सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं, को सामुदायिक केंद्रों में अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया। उनके परिवारों को भी कई दिनों तक जानकारी नहीं दी गई।
हरियाणा सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक बल्यान ने कहा, “वे बांग्लादेशी हैं।” दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने समय की कमी बताते हुए मामले की सुनवाई अगले हफ्ते तक टाल दी।
SOP सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि क्या गृह मंत्रालय द्वारा अवैध विदेशियों पर जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) वेबसाइट पर उपलब्ध है। आज कोर्ट को बताया गया कि SOP जारी तो हुई है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है।
यह याचिका एक्टिविस्ट निर्मल गोराना ने दायर की है। इसमें प्रवासी मजदूरों के दस्तावेजों की जांच के लिए सही मानक संचालन प्रक्रिया बनाने का निर्देश मांगा गया है। साथ ही, वैध भारतीय नागरिकों की अवैध हिरासत को तुरंत रोकने की मांग की गई है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि गुरुग्राम में पुलिस द्वारा की गई जांच अभियान में कथित बदसलूकी और मनमानी की स्वतंत्र जांच कराई जाए और पीड़ित लोगों का पुनर्वास किया जाए। अब यह मामला 30 सितंबर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।