संसद ने वक्फ बोर्ड सुधार विधेयक पारित किया, तीखी बहस के बीच हुआ ऐतिहासिक फैसला
लोकसभा में आज वक्फ बोर्ड सुधार विधेयक पर जोरदार बहस हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने इसे “मुस्लिम समाज के वंचित वर्गों के लिए नई सुबह” बताया। विपक्ष ने सरकार पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध किया।
“शराफत अली बनाम शरारत खान की लड़ाई”: मंत्री का तीखा जवाब
डॉ. त्रिवेदी ने इस सुधार को शोषण के खिलाफ कदम बताते हुए कहा: “यह शराफत अली और शरारत खान के बीच की लड़ाई है। हमारी सरकार गरीब मुस्लिम कारीगर के साथ खड़ी है।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का हवाला दिया।
मनोज झा (आरजेडी) ने इसे मुस्लिम संस्थानों पर हमला बताया और “मुनम्बम के दर्द भरे आँसू” का जिक्र किया। त्रिवेदी ने जवाब में कहा: “चाकू खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर, कटता तो भगवा रंग का खरबूजा ही है।”
ऐतिहासिक विवाद और शायराना जंग
ताजमहल जैसे स्मारकों पर दावों को लेकर बहस ने रोचक मोड़ लिया। त्रिवेदी ने शाहजहाँ का जिक्र करते हुए कहा: “जिंदा बाप को पानी न देने वाले औरंगजेब से बेहतर वो हिंदू हैं जो पितृपक्ष में मृतकों को भी जल अर्पित करते हैं।”
उन्होंने औपनिवेशिक फरमानों की वैधता पर सवाल उठाया: “क्या बाबा साहेब के संविधान से ऊपर कोई फरमान चल सकता है?”
सांस्कृतिक विरासत बनाम राजनीतिक एजेंडा
त्रिवेदी ने भारत की साझा संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा: “पहले मुसलमानों की पहचान बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई और कलाम की विज्ञान से थी, आज उन्हें सिर्फ राजनीतिक हेडलाइन्स में पेश किया जाता है।”
उन्होंने बुल्ले शाह का उदाहरण देते हुए कहा: “मैं होली खेलूँगी अल्लाह के नाम पर”
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- दावों की समय सीमा: 15 अगस्त 1947 से पहले के दस्तावेज ही मान्य
- पारदर्शिता: वक्फ संपत्तियों का ऑडिट
- समावेश: मंदिर ट्रस्टों में आदिवासी और दलित पुजारियों को प्राथमिकता
बहस के अंत में त्रिवेदी ने कहा: “तूफानों में भी हमने दीप जलाए हैं… अब नई नाव पर सबको साथ लेकर चलें।”