छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 6 बच्चों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बच्चों की किडनी कफ सिरप की वजह से फेल हुई। बच्चों को जो कफ सिरप दिया गया था, उसमें डायएथिलीन ग्लायकॉल केमिकल में गड़बड़ी होने का संदेह है।
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छिंदवाड़ा कलेक्टर ने कोल्ड्रिफ Coldrif और नेक्सट्रॉस डीएस Nextro-DS कफ सिरप बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पेरेंट्स, डॉक्टर और मेडिकल संचालकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।
बता दें कि 20 सितंबर के बाद छिंदवाड़ा के अलग-अलग हिस्सों में सर्दी-खांसी और बुखार के बाद कई बच्चों की यूरिन (पेशाब) बंद हो गई थी।

छिंदवाड़ा में सर्दी-खांसी जुकाम से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है।
कैसे पता चला कि कफ सीरप खराब कर रहा किडनी? सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाडे के मुताबिक- पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। शुरुआती लक्षणों में बच्चों को तेज बुखार और पेशाब करने में कठिनाई हो रही थी।
छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन नांदुलकर कहते हैं- जिन बच्चों को ये समस्या हो रही थी, उन्हें नागपुर रेफर किया गया था। वहां इलाज चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद उन बच्चों की किडनी की बॉयोप्सी जांच कराई गई। इसमें खुलासा हुआ कि कफ सीरप में मिला डायएथिलीन ग्लायकॉल दूषित पाया गया है। इन ज्यादातर बच्चों को इसी कॉम्बिनेशन का सिरप दिया गया था।

कफ सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया इस रिपोर्ट के मिलने के बाद जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने जिले के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। इसमें सीईओ जिला पंचायत, सीएमएचओ, मेडिकल कॉलेज डीन, डॉक्टर्स, ड्रग्स इंस्पेक्टर और बाकी अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सट्रॉस डीएस (Nextro-DS) कफ सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।
भास्कर से बातचीत में कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा- पता चला कि किडनी फेल होने की वजह से मौत हुई है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च दिल्ली की टीम को सूचित किया गया। टीम ने यहां कई स्तर पर जांच की। हमने भी बच्चों के ब्लड सैंपल पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट भेजे।
जिन गांव के बच्चों की मौत हुई, वहां के पानी की भी जांच कराई गई। इस जांच में ऐसा कोई इन्फेक्शन नहीं मिला। ऐसे में किसी ड्रग की वजह से किडनी फेल हुई है, इसकी संभावना ज्यादा नजर आती है। बॉयोप्सी रिपोर्ट भी इसी तरफ इशारा कर रही है।

अब जानिए क्या जांच हुई और क्या रिपोर्ट मिली?
1. बच्चों के ब्लड सैंपल पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट जांच के लिए भेजे गए। रिपोर्ट: इस रिपोर्ट में ऐसा कोई वायरल इन्फेक्शन नहीं मिला, जिससे किडनी खराब हो। न ही इस बात की पुष्टि हुई कि ये बीमारी संक्रामक है।
2. जिन गांवों में बच्चों की मौत हुई, वहां के पानी के सैंपल लिए गए रिपोर्ट: छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक के आसपास जिन गांवों में बच्चों के किडनी फेल होने के केस आए, जहां बच्चों की मौत हुई, वहां के पानी की जांच कराई गई। लेकिन ये भी सामान्य निकला।
3. इन्फेक्शन जांचने 3500 से ज्यादा बच्चों के ब्लड सैंपल रिपोर्ट: परासिया सिविल अस्पताल में बीते हफ्ते भर में 3500 से ज्यादा छोटे बच्चों के खून की सीआरपी जांच हुई, ताकि इन्फेक्शन का पता लगाया जा सके। लेकिन इसमें अधिकांश रिपोर्ट ठीक थी।

अभी भी कई बच्चों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
डॉक्टर, मरीज और मेडिकल स्टोर्स के लिए एडवाइजरी
कलेक्टर ने सीएमएचओ को लगातार इन मामलों की पुख्ता मॉनिटरिंग के लिए कहा है। साथ ही ये भी कहा कि यदि जरूरत पड़े तो मरीजों को नागपुर स्थित एम्स में भर्ती किया जाए। कलेक्टर ने ये भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो सरकार की पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा का भी इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही अफसरों को कहा है कि झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इन सबसे के अलावा मरीज, डॉक्टर और मेडिकल संचालकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है।
1. मरीजों के लिए एडवाइजरी
- सर्दी, खांसी और बुखार के मरीज बिना देर किए सरकारी अस्पताल जाएं।
- यदि बच्चा 6 घंटे तक पेशाब नहीं कर रहा, तो पेरेंट्स डॉक्टर के पास जाएं।
- झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराएं। मेडिकल स्टोर से खुद दवा लेने से बचें।
- जितना हो सके पानी उबालकर पीएं। ताजा खाना खाएं और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें।
2. मेडिकल स्टोर के लिए एडवाइजरी
- बिना प्रिस्क्रिप्शन के कंबिनेशन ड्रग्स न दें।
- प्रतिबंधित कप सीरप या फॉर्मूला न दें।
- किसी भी तरह की एंटीबायोटिक भी मरीज को बिना पर्चे के न दें।
3. डॉक्टरों के लिए एडवाइजरी
- सर्दी-खांसी बुखार से पीड़ित बच्चे यदि पहले से कोई दवा ले रहे हैं तो उनकी खास निगरानी रखें।
- 6 घंटे तक बच्चा यूरिन न करे तो ऑब्जर्वेशन में रखें और जरूरत पड़ने पर हायर सेंटर रेफर करें।
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छिंदवाड़ा में अज्ञात बीमारी से किडनी फेल होने के बाद एक और बच्चे की मौत हो गई। बीते शनिवार को दीघावानी के विकास यदुवंशी (4) ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रविवार दोपहर को उसका अंतिम संस्कार किया गया। विकास को बीते हफ्ते तेज बुखार आने के बाद नागपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उससे पहले तीन और बच्चों ने इसी बीमारी की चपेट में आकर जान गंवा दी। 7 सितंबर को पहले बच्चे की मौत हुई थी। सभी की बीमारी के शुरुआती लक्षण तेज बुखार और पेशाब रुकने के थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें