Thursday, October 9, 2025

Coldrif Cough Syrup Death Tragedy; Tamil Nadu Company | G Ranganathan | जहरीला कफ सिरप बनाने वाली कंपनी का डायरेक्टर गिरफ्तार: एमपी SIT ने चेन्नई से पकड़ा; सिरप से अब तक 23 बच्चों की मौत – Madhya Pradesh News

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जी रंगनाथन श्रीसन फार्मा के डायरेक्टर हैं। इन्हीं की कंपनी ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाया है।

मध्य प्रदेश में 23 बच्चों की मौत का कारण बने कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा का डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई SIT की टीम ने बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात तमिलनाडु के चे

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रंगनाथन पर 20 हजार रुपए का इनाम था। वह अपनी पत्नी के साथ फरार चल रहा था। चेन्नई में रंगनाथन का चेन्नई-बेंगलुरु राजमार्ग पर स्थित 2,000 वर्ग फुट का अपार्टमेंट सील कर दिया गया था, जबकि कोडम्बक्कम स्थित उनका रजिस्टर्ड ऑफिस बंद मिला था।

इस बीच कोल्ड्रिफ सिरप की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। तमिलनाडु डायरेक्टर ऑफ ड्रग्स कंट्रोल की रिपोर्ट में सामने आया है कि यह सिरप नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से तैयार किया गया था।

जांच के दौरान कंपनी के मालिक ने मौखिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने दो बार में प्रोपलीन ग्लायकॉल के 50 किलो के दो बैग खरीदे थे। यानी कंपनी ने 100 किलो जहरीला केमिकल खरीदा था। जांच में इसका न कोई बिल मिला है, न खरीद की एंट्री की गई। पूछताछ में जांच अधिकारियों को बताया गया कि भुगतान कभी कैश तो कभी G-Pay से किया था।

जहरीले केमिकल की मात्रा 486 गुना अधिक

दवा बनाने वाली कंपनी ने घटिया क्वालिटी का प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा। उसका कभी टेस्ट भी नहीं कराया। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी के पास न तो खरीदी के बिल हैं और न ही प्रयोग किए गए केमिकल के रिकॉर्ड मौजूद हैं।

लैब जांच में यह भी पाया गया कि सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायनों की मौजूदगी तय सीमा से 486 गुना अधिक थी।

इधर, एक एक्सपर्ट ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया है कि यह मात्रा न सिर्फ बच्चों के लिए घातक है बल्कि यह हाथी के बराबर के जानवर की भी किडनी और ब्रेन को नष्ट कर सकती है।

मार्च में खरीदा गया था केमिकल जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने चेन्नई की सनराइज बायोटेक से 25 मार्च 2025 को प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था। यह नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड का था यानी दवा बनाने के लिए उपयुक्त नहीं था। इसके बावजूद कंपनी ने न तो इसकी शुद्धता जांची और न ही इसमें डाईएथिलीन ग्लायकॉल या एथिलीन ग्लायकॉल की मात्रा का परीक्षण किया।

दस्तावेज छिपाने का किया प्रयास तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने पाया कि इस घटिया केमिकल से कई दवाएं तैयार की गईं। ऐसे में निरीक्षण के दौरान जांच टीम ने अपनी इन्वेस्टिगेशन को जारी रखा। जिसमें उन्होंने पाया कि कंपनी के पास उस समय प्रोपलीन ग्लायकॉल का कोई स्टॉक नहीं था। इससे शक और गहरा गया कि कंपनी ने केमिकल को तेजी से खत्म कर दस्तावेज छिपाने की कोशिश की।

तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने कहा कि यह जांच सार्वजनिक सुरक्षा के हित में अत्यंत आवश्यक थी, क्योंकि नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल के इस्तेमाल से बनी दवाएं बच्चों और वयस्कों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।

छिंदवाड़ा भेजने वाले थे 589 बॉटल कोल्ड्रिफ जांच दल को श्रीसन फार्मास्युटिकल्स में कोल्ड्रिफ सिरप के बैच नंबर SR-13 की 60 एमएल की 589 बॉटल मिली थी। जो छिंदवाड़ा भेजने के लिए तैयार की गई थीं। इसी बैच नंबर की सिरप पीने से बच्चों की किडनी फेल और ब्रेन में सूजन आई, जो उनकी मौत का कारण बनी। इन सिरप को साल 2025 के मई माह में तैयार किया गया था। वहीं, एक्सपायरी डेट साल अप्रैल 2027 है।

सिरप की 5870 बॉटल जांच दल को मिली जांच दल को फार्मास्युटिकल्स कंपनी की मैन्यूफैक्चरिंग साइट से कोल्ड्रिफ के अलावा 4 और सिरप मिले। इनमें 1534 बॉटल रेस्पोलाइट डी, 2800 बॉटल रेस्पोलाइट जीएल, 736 बॉटल रेस्पोलाइट एसटी और 800 बॉटल हेपसंडिन सिरप थे। हालांकि, जांच में यह स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए।

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छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीले तत्वों वाला कफ सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से अब तक 19 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले में सीएम डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश के ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटा दिया है। सीएम ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन के उपसंचालक शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा और जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन सस्पेंड करने के निर्देश भी दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर…



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