दीपावली की रात ढाई बजे रहे थे। हम पटना के बांसघाट श्मशान घाट पर थे। पटाखों की आवाज सन्नाटे को चीर रही थी। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। इस बीच पीछे से सुनिए…सुनिए की आवाज आई । हम चौंक गए, लेकिन यह आवाज उसी की थी, जिसकी हमें तलाश थी।
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दौड़कर 25 साल का लड़का हमारे सामने खड़ा हो गया। हम कुछ बोलते इससे पहले वह सवाल कर बैठा, इतनी रात में आप लोग यहां क्या कर रहे हैं। हमारा जवाब था, तांत्रिक ने विशेष पूजा के लिए नरमुंड मंगवाया है। उन्होंने कहा था, पटना के बांसघाट के श्मशान में मिल जाएगा।
इतना सुनते ही लड़का बोल पड़ा, मिल जाएगा। कैसा चाहिए, महिला पुरुष या फिर बच्चे का सिर चाहिए। थोड़ी देर बातचीत में उलझाकर, उसने हमारे बारे में जानने की कोशिश की।
तस्दीक के बाद, वह कुदाल लाया और हमारी आंखों के सामने एक दफन लाश को खोदकर बाहर निकाला। इसके बाद उसका सिर काटकर हमारे सामने लाकर खड़ा हो गया। सब कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा था, लेकिन हमें यकीन ही नहीं हो रहा था।
यह हमारा ऑपरेशन नरमुंड था। हमें इनपुट मिला था कि दीपावली पर वशीकरण और सिद्धि के लिए तांत्रिकों को श्मशान से नरमुंडों की सप्लाई हो रही है। पढ़िए और देखिए दफनाई लाशों का सौदा करने वाले सौदागरों को बेनकाब करने वाला दैनिक भास्कर का ‘ऑपरेशन नरमुंड’…
3 दिनों तक 20 श्मशानों में घूमे रिपोर्टर
दैनिक भास्कर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम को 19 अक्टूबर को इनपुट मिला था कि दीपावली में वशीकरण और सिद्धि के लिए तांत्रिकों को श्मशानों से नरमुंड पहुंचाए जा रहे हैं। बिहार के श्मशानों में दीवाली पर होने वाली तंत्र पूजा के लिए नरमुंडों का सौदा होता है। नरमुंडों के सौदागरों को एक्सपोज करने के लिए 3 दिनों तक हमने 20 से अधिक श्मशान घाटों की पड़ताल की।
पड़ताल के दौरान ही हमें पटना के बांसघाट स्थित श्मशान घाट पर नरमुंडों के सौदे का पता चला। पुख्ता जानकारी के बाद हमने 20 और 21 अक्टूबर की रात ऑपरेशन नरमुंड प्लान किया। इसमें दफनाई लाशों का सिर काटकर बेचने वाले धंधेबाज बेनकाब हो गए।
श्मशान घाट पर तांत्रिक ने की नरमुंड की डिमांड
20 अक्टूबर की रात लगभग 2 बजे भास्कर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम पटना के बांसघाट स्थित श्मशान घाट पहुंची। यहां पूरी तरह से सन्नाटा था। इनपुट के मुताबिक हम बांसघाट पर स्थित मंदिर पहुंचे, जहां काले कपड़ों में एक तांत्रिक बैठा मिला।
हम एमएलए प्रत्याशी बनकर तांत्रिक के पास पहुंचे और जीत के लिए उपाय पूछे। तांत्रिक जिस मंदिर में बैठा था, वहां हर तरफ दीवार पर नरमुंड के चित्र बने थे। रात में ये जगह बेहद डरावनी लग रही थी। तांत्रिक की आंखें पूरी तरह से लाल थीं। वो कम बोल रहा था, इशारों से बात कर रहा था।
तांत्रिक ने पहले चिता की लड़की से राख निकाली और हमारे माथे पर तिलक किया। इसके बाद उसने हमसे हमारी पार्टी का नाम पूछा और चुनाव में हमारी जीत पक्की होने के दावे करने लगा। उसने हमसे लेन-देन की बात तो नहीं की, लेकिन नरमुंड के चित्र की तरफ बार-बार देख रहा था।

मंदिर में तांत्रिक के पास से निकलकर हम श्मशान घाट पहुंच गए। यहां 20 मिनट इधर-धर भटकने के दौरान 25 साल के अतुल ने हमें टोका। उसने हमसे नरमुंड को लेकर हर तरह से डील की।
रिपोर्टर – पूजा के लिए नरमुंड चाहिए?
अतुल – आज नहीं मिल पाएगा, कल आइए जैसा चाहिएगा वैसा दे देंगे।
रिपोर्टर – आज रात ही दिलवा दो, ताकि हमारी तंत्र पूजा हो जाए।
अतुल – कैसे होगा?
रिपोर्टर: देखो ना, कहीं से व्यवस्था कर दो।
अतुल –अच्छा, देखते हैं। (बोलकर विद्युत शवदाह गृह के अंदर गया)
प्लास्टिक के थैले में लाया नरमुंड के टुकड़े
अतुल 10 मिनट बाद एक प्लास्टिक के थैले में नरमुंड के कई टुकड़े लेकर हमारे पास आया। एक-एक कर वह टुकड़े निकालकर हमें दिखाता गया। हमारे सोर्स ने बताया था कि यहां पूरा नरमुंड मिल जाता है, इसलिए हमने भी अतुल से साबूत नरमुंड की डिमांड की।
रिपोर्टर – इससे काम नहीं होगा, यह तो टुकड़ा है। बाबा ने तो पूरी सात हड्डी के साथ नरमुंड मांगा है।
अतुल – देखिए, ऐसे ही छोटा साइज मिलेगा, कोशिश करते हैं कुछ बड़ा मिल जाए।
रिपोर्टर – 7 हड्डी और खोपड़ी चाहिए भाई।
अतुल – समझ गया, कोई एक मेरे साथ चलो, मैं निकाल कर देता हूं।
रिपोर्टर से कहा- पूरा नरमुंड चाहिए तो मेरे साथ विद्युत शवदाह गृह चलो
अतुल रिपोर्टर को लेकर सीधा बांसघाट के विद्युत शवदाह गृह में वहां पहुंचा जहां आम इंसान नहीं जा सकता है। लाशों के प्लेटफार्म के अंधेरा था। बहुत सारी हड्डियां और नरमुंड पड़े थे। गर्मी के कारण वह छूने से ही टूट जा रहे थे। यहां कई जले नरमुंड को अतुल ने हाथ में लेकर दिखाया, लेकिन वह छूते ही टूट जा रहे थे।
यहां अतुल ने मोबाइल की फ्लैश लाइट ऑन कर एक-एक कर नरमुंडों को दिखाया। विद्युत शवदाह गृह के अंदर टूटी खोपड़ियां और हडि्डयां पड़ी हुई थीं, लेकिन हमें इंतजार था पूरे नरमुंड का।

अतुल विद्युत शवदाह गृह में नरमुंड ढूंढ ही रहा था कि अचानक वहां एक युवक पहुंच गया। वह अतुल को यह कहकर डांटने लगा कि इन लोगों को अंदर क्यों ले गए। अतुल ने कोडवर्ड में कहा- बल्लू यह लोग उसी काम के लिए आए हैं। यह सुनते ही बल्लू शांत हो गया और हमसे पैसे पर डील करने लगा।
रिपोर्टर – खड़ा कैसे मिलता है?
बल्लू – खड़ा नहीं मिलेगा, मशीन से निकालकर थोड़ी सी हड्डी दे देंगे।
रिपोर्टर – इसका कितना लीजिएगा, पैसे तो बताइए?
बल्लू – हमको ज्यादा नहीं चाहिए, हम जो हड्डी देंगे उससे हर काम पूरा हो जाएगा।
रिपोर्टर – छोटे से काम नहीं चलेगा, बड़ा चाहिए। आज तंत्र पूजा है, उसी में ले जाना है।
बल्लू – खड़ा चाहिए, बालूघाट चलिए निकालकर दे देंगे।
रिपोर्टर – दिखा दीजिए।
बल्लू – निकालकर दे देंगे?
रिपोर्टर – दिखा दीजिए, पहले तांत्रिक को फोटो भेजते हैं, पसंद आ गया तो पैसे दे दूंगा।
रिपोर्टर – भइया, थोड़ा बड़ा लगेगा, छोटा या फिर टूटी हड्डी नहीं चाहिए।
बल्लू – सुनिए न, खड़ा चाहिए तो निकालकर दे देंगे, लेकिन जो बोलेंगे वह लेंगे।
रिपोर्टर – हां भाई, दे देंगे, पहले दिखा दीजिए।
बल्लू – ठीक है, व्यवस्था करते हैं।
रिपोर्टर – हां, लाकर दिखाइए न, कहां से लाकर देंगे, मशीन से?
बल्लू – नहीं, मशीन से नहीं जो लाश जमीन के अंदर दफनाई जाती है, उसी का निकाल कर देंगे।
रिपोर्टर – चलिए दिखा दीजिए, पैसा बढ़ाकर ही ले लीजिएगा।
बल्लू – जितना बोला है उतना लूंगा।
रिपोर्टर – ठीक है, चलिए दिखा दीजिए, हमको तो जरूरी है, काफी लेट हो गया है।
बल्लू – (अतुल से बोलते हुए ) इन लोगों को बालू घाट ले चलो, वहीं आता हूं।
बल्लू – आप लोग बालू घाट जाइए मैं वहीं आ रहा हूं।
अतुल बोला- दफनाए शव पर हम निशान लगा देते हैं
बालू घाट की तरफ जाते समय अतुल बोला-आपका काम हो जाएगा। बल्लू कुदाल लेकर आ रहा है, वह दफनाए हुए शव से सिर निकालकर दे देगा। हमारा सवाल था, इतनी रात में कैसे पता चलेगा कहां कौन शव दफनाया गया है। अतुल बोला – जो शव जमीन के अंदर दफन किया जाता है, हर शव के सिर के पास एक ईंट का निशान लगा दिया जाता है, ताकि पता चल सके कि शव का सर किस साइड में है। इसी हिसाब से उनका सिर काटकर निकाल लिया जाता है।
किसका सिर चाहिए…बच्चा युवक या महिला
बालू घाट पर बल्लू कुदाल लेकर पहुंचा और हमसे सवाल किया कि सिर कैसा चाहिए। बच्चा, महिला और बड़े का सिर अलग-अलग तंत्र में काम आता है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से बताएं जिसका सिर तांत्रिक ने बोला हो, वही निकालकर दे दूंगा।
बल्लू – महिला का सिर लेना है या फिर जेंट्स या बच्चे का सिर चाहिए?
रिपोर्टर – जेंट्स मतलब, जेंट्स का चाहिए?
बल्लू – ठीक है, वही मिलेगा। आप लोग 10 मिनट रुकिए मैं लेकर आता हूं।
रिपोर्टर – लेकर आएंगे तो दिखाएंगे?
बल्लू – हां, दिखाएंगे, आप लोग यहीं रहिए।
रिपोर्टर – “हां, यही ठीक है।
बल्लू ने हमारे सामने दफनाए शव को खोदकर सिर काटा
बल्लू ने हमसे कहा कि आप यहीं रुकिए वो दफनाए शव को खोदने चला गया। वो हमारे साथ अतुल को छोड़ गया था। हमसे लगभग 100 मीटर की दूरी पर बल्लू शव को खोद रहा था, सन्नाटे में कुदाल की आवाज हम तक पहुंच रही थी।
अतुल से हमने कहा वहां काफी अंधेरा है, कुछ दिख नहीं रहा होगा। चलिए मोबाइल की फ्लैश लाइट दिखा देते हैं। अतुल हमारी बात मान गया और हमें लेकर मोबाइल की रोशनी के साथ वहां पहुंचा जहां बल्लू लाश खोदकर निकाल रहा था। हम बल्लू के पास पहुंचे तो देखा, जहां ईंट लगी थी उसी दिशा में वह कुदाल चला रहा था।
सन्नाटे में एक तरफ रुक-रुककर पटाखों की आवाज आ रही थी, दूसरी तरफ बल्लू के कुदाल की तेज आवाज सुनाई दे रही थी। बल्लू हमें अपने पास देखकर अतुल पर भड़क गया, बोला-इन लोगों को यहां क्यों लाए हो। हमने अंधेरे का कहकर उसे मना लिया। उसने मिट्टी खोद ली थी अब लाश दिखाई देने लगी थी।
लाश के बाहर आते ही काफी तेज बदबू आने लगी। इतने में बल्लू ने तेजी से कुदाल मारा और खोपड़ी को शव से अलग कर दिया। इसके बाद हमें डांटकर बोला- यहां से भागिए, बिजली के पोल के पास बाहर रहिए वहीं हम नरमुंड लेकर आते हैं। बल्लू ने हमें लगभग 500 मीटर दूर जाने को कहा।
बोरे में नरमुंड लेकर आया, बाहर निकालकर दिखाया
15 मिनट बाद बल्लू सफेद रंग के बोरे में नरमुंड लेकर हमारे पास पहुंचा। बोला- जैसा आप चाह रहे थे, वैसा ही लाया हूं। यह कहते हुए उसने नरमुंड को बोरे से बाहर निकाल दिया। नरमुंड को देखकर लग रहा था, वह ज्यादा पुराना नहीं है। शव कंकाल नहीं बना था, सिर पर बाल नहीं थे, हड्डी के ऊपर गुलाबी चमड़ी दिख रही थी।
जबड़े के नीचे से कटा हुआ था, देखने से ही लग रहा था कि कुदाल से काटा गया हो। बोरे से नरमुंड निकालते ही, काफी तेज दुर्गंध आने लगी। सांस लेना मुश्किल हो रहा था, लेकिन बल्लू पर कोई असर नहीं पड़ा। ऐसा लग रहा था जैसे उसे इसकी आदत हो। इसके बाद बल्लू से हमने कई सवाल किए।
रिपोर्टर – यह तो कंकाल नहीं दिख रहा है, लग रहा है नई लाश का नरमुंड है?
बल्लू – नहीं, 6 महीने पुराना है। नमक से पूरा गल गया है।
बल्लू – कहां ले जाना है?
रिपोर्टर – पटना सिटी।
बल्लू – वह तो बगल में ही है।
रिपोर्टर – थोड़ा हाथ से निकालकर दिखा दो, टूटा है या पूरा है?
बल्लू – पूरा है, कोई दिक्कत नहीं। बहुत दिन से रखा था, 5 से 6 महीने से जमीन के अंदर था।
रिपोर्टर – किसका है?
बल्लू – यह सामान कहीं नहीं मिलेगा, कहीं भी जाइए 10 से 20 हजार रुपए भी दीजिएगा, तब भी नहीं मिलेगा।
रिपोर्टर – लेकर जाने में कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना?
बल्लू – कोई दिक्कत नहीं होगी, पहुंचा देंगे।
रिपोर्टर – यह बच्चे का है या बड़े का नरमुंड है?
बल्लू – नहीं, जवान बॉडी का है, उसके परिवार ने जलाया नहीं, दफन किया था।
यहां हर नरमुंड का फिक्स है रेट
बल्लू और अतुल ने बातचीत में कई खुलासे किए। दोनों ने नरमुंड के रेट का भी खुलासा किया। बल्लू और अतुल ने बताया कि वह आम लोगों को खोपड़ी नहीं देते हैं। सेट ग्राहक है, तांत्रिक और अघोरी ही हमसे नरमुंड ले जाते हैं। अनजान को देने में खतरा है, यह खुले में हम नहीं बेच सकते हैं। आप बहुत परेशान हैं, इसलिए आपको दे दे रहे हैं। बल्लू ने बताया कि जैसी जिसकी पूजा होती है, वैसे नरमुंड की डिमांड उन्हें होती है।
रिपोर्टर – अलग-अलग क्यों नरमुंड जाता है?
बल्लू – डिमांड ही अलग-अलग होती है।
रिपोर्टर – बच्चों का नरमुंड कौन ले जाता है?
बल्लू – जिनके बच्चे नहीं होते, वह बच्चों के नरमुंड से तंत्र कराते हैं।
रिपोर्टर – महिला का नरमुंड कौन लेता है?
बल्लू – सम्मोहन और साधना के लिए तांत्रिक डिमांड करते हैं।
रिपोर्टर – बड़े इंसान का कौन लोग ले जाते हैं?
बल्लू – इसे तंत्र साधक और सिद्धि के लिए अघोरी लोग ज्यादा ले जाते हैं। एक बार सिद्ध करके हमेशा साथ रखने वाले भी ले जाते हैं।
रिपोर्टर – रेट भी अलग-अलग होता है क्या?
बल्लू – बच्चों का सबसे महंगा 51 हजार और महिलाओं का 31 हजार जबकि बड़ों को 21 हजार तक लेते हैं, अगर किसी विशेष आदमी का चाहिए तो मुंह मांगे पैसे लिए जाते हैं।
रिपोर्टर – दीपावली पर कितने दिए हैं?
बल्लू – गया है, कई गया है।
रिपोर्टर – पहले से बेचा जाता है या नहीं?
बल्लू – जाता है, खूब जाता है।
रिपोर्टर – कितना लाते हैं, मोलभाव होता होगा?
बल्लू – 11,000 लेते हैं, 51,000 लेते हैं। आपको 21 बताए हैं।
रिपोर्टर – दीपावली पर बहुत लोग ले जाते होंगे?
अतुल – हां, बहुत लोग ले जाते हैं।
रिपोर्टर – कौन सा लेकर जाते हैं, जला हुआ या फिर जमीन वाला?
अतुल – डिमांड के ऊपर है, कोई कहता है जला हुआ थोड़ा सा दे दो, तो कोई कहता है हड्डी दे दो, तो कोई कहता है पूरा मुंड चाहिए, कुछ को तो जरा सा भी टूटा-फूटा नहीं लेना होता है।
अतुल ने बताया, कैसे जल्दी गलता है मुंड
अतुल ने बताया कि बहुत ऐसे शव आते हैं, जिनके परिवार जलाना नहीं चाहते हैं। ज्यादातर बच्चों के साथ ऐसा होता है। बच्चों को तो जलाया ही नहीं जाता है। ऐसे शव पर हम लोग परिवार वालों से बोलकर ज्यादा से ज्यादा नमक डलवा देते हैं, ताकि सिर तेजी से गल जाए।
अतुल ने बताया, श्मशान में अलग-अलग एरिया में अलग-अलग शव को दफनाया जाता है। बालू घाट पर ज्यादातर बच्चों को ही दफनाया जाता है। यहां से उन्हीं लोगों को निकालते हैं। बच्चों को दफनाने पर नमक डालने से बहुत तेजी से गल जाता है।
नमक से मांस बहुत तेजी से गलता है। हड्डी जमीन पकड़ लेती है, कुछ दिन बाद सिर्फ हड्डी ही रह जाती है, बस पूरा हड्डी वाला कंकाल बचता है।
नरमुंड की होम डिलीवरी, बल्लू बोला- समय दीजिए, जितनी चाहिए मिल जाएगी
बल्लू से हमने और खोपड़ी की मांग की। उसने कहा- समय दीजिए जितनी चाहिए उतनी मिल जाएगी। बस आप पहले बता दीजिएगा किसकी कैसी चाहिए। फुल हाफ या फिर बच्चों की। आप पहले बता देंगे तो हम निकलवाकर साफ कर के रख देंगे। बल्लू ने कहा आपको ले जाने में दिक्कत होगी तो हम पहुंचा दिया करेंगे।
उसने हमें नरमुंड की होम डिलीवरी का भी ऑफर दिया। कहा कि पुलिस, थाने की टेंशन ले रहे हों तो हम घर तक पहुंचा दिया करेंगे। आप सिर्फ पता बता दीजिए। बल्लू का दावा है, कुछ लोगों के लिए वह ऐसा कर भी रहा है, लेकिन वो आम लोग नहीं हैं, हमेशा पूजा पाठ वाले ही हैं।
वह उनके संपर्क में हैं, जब जरूरत होती है फोन कर पहले बोल देते हैं। चलते चलते बल्लू हमसे बोला- ‘कल सुबह आ जाइए, इस बार और बढ़िया खोपड़ी दूंगा। सामान तैयार रहेगा। बस सुबह 8 बजे पहुंच जाना, लेकिन ध्यान रहे, इस बारे में किसी को खबर नहीं होनी चाहिए। जब मैं फोन करूंगा, तभी आना।’
अब जानिए एक्सपर्ट इसे लेकर क्या कहते हैं


2018 में छपरा से पुलिस ने 50 नरमुंड बरामद किए थे

नरमुंड पर SSP ने नहीं दिया जवाब
पटना SSP ऑफिस से महज एक किलोमीटर दूरी पर नरमुंड की खरीद बिक्री का पूरा धंधा चल रहा है, लेकिन पुलिस इस पर खामोश है। खबर को लेकर जब दैनिक भास्कर ने पटना SSP कार्तिकेय शर्मा से फोन पर बातकर उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने फोन अटेंड नहीं किया और ना ही मैसेज का कोई जवाब दिया।
नोट — हमारा इंटेंशन किसी की डेड बॉडी के सम्मान के साथ खिलवाड़ करना नहीं है। हम सिर्फ ये बताना चाहते हैं कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। जिसे समाज के सामने लाना हमारी जिम्मेदारी है।